CSK के गिरते प्रदर्शन ने तोड़ी फैंस की उम्मीदें – क्या खत्म हो चुका है वो पुराना जलवा?

 अगर आप चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के फैन हैं, तो यकीनन पिछले कुछ दिनों में आपके चेहरे की मुस्कान गायब हो गई होगी। वो टीम जो सालों तक इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शान रही, आज कुछ गुमसुम सी लग रही है। मैदान पर ना वो जोश दिख रहा है, ना ही वो इरादा जिससे मैच पलटा करते थे।

एक हफ्ते में दो बड़े झटके – इतिहास ने खुद को बदला

इस हफ्ते CSK को दो ऐसी हारें झेलनी पड़ीं जिन्होंने फैंस को अंदर से हिला दिया।

  • 17 साल बाद RCB से हार

  • 15 साल बाद दिल्ली कैपिटल्स से शिकस्त

ये आंकड़े सिर्फ हार के नहीं, बल्कि उस बदलाव के हैं जो धीरे-धीरे CSK को एक औसत टीम में बदल रहे हैं। ये वही टीम है जो एक वक्त में घर पर अजेय मानी जाती थी, लेकिन आज अपने होम ग्राउंड में सबसे कमजोर नजर आ रही है। 



क्या हो गई है टीम की सबसे बड़ी कमजोरियां?

इस बार चेन्नई की टीम तीन अहम मोर्चों पर फेल होती दिख रही है:

1. बल्लेबाज़ी में धार नहीं रही

ओपनर्स जल्दी आउट हो जाते हैं, मिडिल ऑर्डर में कोई टिक कर नहीं खेल रहा, और फिनिशिंग की तो बात ही मत पूछिए। जिस टीम में रैना, फाफ, वाटसन जैसे खिलाड़ी रह चुके हैं, वहां अब रन बनाने की जद्दोजहद साफ दिखती है।

2. गेंदबाज़ी बिखरी-बिखरी सी

CSK की गेंदबाज़ी कभी उसकी सबसे बड़ी ताकत हुआ करती थी। मगर इस बार ना नई गेंद से विकेट मिल रहे हैं, ना ही डेथ ओवर्स में कंट्रोल है। विरोधी टीमों के बल्लेबाज़ खुलकर रन बना रहे हैं।

3. ऑलराउंडर्स का रोल गायब

एक वक्त था जब ब्रावो, जडेजा, मोईन अली जैसे ऑलराउंडर्स मैच का पासा पलट देते थे। इस सीजन ऐसा लग रहा है कि कोई भी खिलाड़ी दोनों डिपार्टमेंट में बैलेंस नहीं ला पा रहा।

धोनी और टीम की रणनीति पर सवाल

पिछले मैच में जब 17 गेंदों पर 67 रन चाहिए थे, उस वक्त धोनी और शंकर क्रीज़ पर थे। उम्मीद थी कि वो मुकाबले को कम से कम टक्कर तक तो ले जाएंगे। लेकिन 16वें ओवर में सिर्फ 6 और 17वें में सिर्फ 5 रन बने। फैंस को लगा ही नहीं कि जीतने की कोशिश की गई।

कभी "थाला धोनी" की कप्तानी में टीम आखिरी ओवर तक लड़ती थी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे हार मान लेने की आदत बनती जा रही है।

बोरिंग हो गया है CSK का क्रिकेट

CSK का क्रिकेट इस बार उतना एंटरटेनिंग नहीं रहा। ना दमदार पारी, ना जोरदार गेंदबाज़ी, ना कोई एक्साइटमेंट। फैंस को मैच देखने में मज़ा नहीं आ रहा, क्योंकि टीम नीरस और थकी हुई सी लग रही है। वो ब्रांड ऑफ क्रिकेट, जिसके लिए चेन्नई जानी जाती थी, इस सीजन कहीं खो गया है।

क्या फिर से उठ पाएगी CSK?

अब सवाल ये है कि क्या CSK फिर से उठ पाएगी? क्या वो पुराने रंग में लौटेगी? या फिर ये गिरावट धीरे-धीरे एक दौर का अंत साबित होगी?

CSK के फैंस हमेशा अपनी टीम के साथ खड़े रहे हैं – जीत हो या हार। लेकिन इस बार निराशा थोड़ी ज्यादा है, क्योंकि टीम हार ही नहीं रही, बल्कि कोशिश भी कम लग रही है।

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