सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई?

हिंदू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों में विस्तृत वर्णन मिलता है। इनमें मुख्य रूप से वेद, पुराण और उपनिषद शामिल हैं।

1. सृष्टि की उत्पत्ति का सिद्धांत (Hindu Cosmology)

हिंदू धर्म के अनुसार, सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया को सृष्टि चक्र कहा जाता है।




2. सृष्टि रचना की प्रक्रिया (Creation Process)

(i) शून्यता (निर्गुण ब्रह्म - अव्यक्त अवस्था)

  • सृष्टि के आरंभ में केवल शून्यता थी, जिसे 'अव्यक्त' (unmanifested state) कहा गया है।
  • इसे "महाशून्य" या "ब्रह्म" कहा जाता है, जो न तो प्रकाश था, न अंधकार, न आकाश, न जल।

(ii) नारायण की उत्पत्ति

  • इस शून्य में सबसे पहले भगवान विष्णु ने 'परम पुरुष' के रूप में अवतार लिया।
  • भगवान विष्णु योगनिद्रा में क्षीरसागर पर लेटे थे, और उनकी नाभि से एक कमल प्रकट हुआ।

(iii) ब्रह्मा जी का प्राकट्य

  • विष्णु जी की नाभि से प्रकट कमल में ब्रह्मा जी का जन्म हुआ।
  • ब्रह्मा जी को सृष्टि निर्माण का कार्य सौंपा गया।

(iv) पंचतत्वों का निर्माण
ब्रह्मा जी ने सबसे पहले पांच मूल तत्वों का निर्माण किया, जिन्हें पंचमहाभूत कहा जाता है:

  1. आकाश (Space)
  2. वायु (Air)
  3. अग्नि (Fire)
  4. जल (Water)
  5. पृथ्वी (Earth)

इन तत्वों के संतुलन से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ।

(v) देवता, असुर और मानव जाति का निर्माण

  • ब्रह्मा जी ने अपने मन (मनः) से मनुष्य का निर्माण किया।
  • अपने शरीर के अलग-अलग भागों से उन्होंने देवताओं, असुरों, गंधर्वों, और अन्य जीवों को उत्पन्न किया।

(vi) जीवों का विकास (Creation of Life)
ब्रह्मा जी ने प्रजापतियों (मानवता के पूर्वज) को उत्पन्न किया, जिनसे संपूर्ण मानव जाति का विकास हुआ।


3. सृष्टि का चक्र (The Cycle of Creation and Destruction)

हिंदू धर्म के अनुसार, सृष्टि का चक्र चार युगों में बंटा होता है:

  1. सत्य युग (Satya Yuga) — धर्म का 100% प्रभाव होता है।
  2. त्रेता युग (Treta Yuga) — धर्म का 75% प्रभाव होता है।
  3. द्वापर युग (Dwapar Yuga) — धर्म का 50% प्रभाव होता है।
  4. कलियुग (Kali Yuga) — धर्म का मात्र 25% प्रभाव होता है।

हर कल्प के अंत में महाप्रलय (cosmic dissolution) होती है, जिसके बाद भगवान विष्णु पुनः सृष्टि की रचना करते हैं।


4. पुराणों के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति

  • विष्णु पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने ही ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया और ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया।
  • भागवत पुराण में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण ही परम पुरुष हैं, और उन्हीं से सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना हुई।
  • शिव पुराण में शिव को सृष्टि का मूल कारण बताया गया है, जिनसे शक्ति (पार्वती) उत्पन्न होती हैं और वही सृजन का आधार हैं।

5. सांख्य दर्शन के अनुसार सृष्टि का सिद्धांत

सांख्य दर्शन में सृष्टि को पुरुष (Consciousness) और प्रकृति (Nature) के संयोग का परिणाम बताया गया है। प्रकृति के तीन गुण — सत्व, रजस, और तमस — के संतुलन से सृष्टि का निर्माण होता है।


6. महत्वपूर्ण बातें

  • सृष्टि निर्माण का उद्देश्य आत्माओं को कर्मानुसार फल देना और उन्हें मोक्ष के मार्ग पर ले जाना है।
  • इस सिद्धांत में हर प्राणी का जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म (reincarnation) का चक्र चलता रहता है, जिसे संस्कार चक्र कहा जाता है।

निष्कर्ष

हिंदू धर्म के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति एक दिव्य चमत्कार है, जिसमें ब्रह्मा जी रचनाकार, विष्णु जी पालक और शिव जी संहारक के रूप में कार्य करते हैं। यह सृष्टि निरंतर जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में गतिमान रहती है।

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