जब दूल्हा सासु मां के प्यार में पड़ गया: शादी से 9 दिन पहले फरार, बेटी रह गई पीछे


 आपने दूल्हा-दुल्हन का प्यार तो खूब देखा होगा, लेकिन ये मामला कुछ अलग ही है — यहां दूल्हा दिल दे बैठा अपनी होने वाली सासु मां को!

यह सच्ची घटना है जो फिल्मी सी लगती है, लेकिन असल जिंदगी में हुई है और सोशल मीडिया पर तहलका मचा रही है। शादी तय थी, तैयारी पूरी थी, लेकिन खेल ऐसा पलटा कि बेटी को छोड़कर दूल्हा सासु मां के साथ फरार हो गया — और साथ ले गया वो सब कुछ जो लड़की के लिए जमा किया गया था।





शुरुआत प्यार से नहीं, मोबाइल से हुई थी...

मामला कुछ यूं है कि एक महीने पहले ही शादी की बातचीत फाइनल हुई थी। 16 अप्रैल को शादी तय थी। होने वाले दूल्हे राजा और उनकी मंगेतर की मां यानी सासु मां के बीच बातचीत तो सामान्य थी, लेकिन तभी दूल्हा साहब ने उन्हें एक नया मोबाइल गिफ्ट कर दिया। और फिर तो जैसे प्यार की इनकमिंग कॉल्स शुरू हो गईं।

धीरे-धीरे ये "नॉर्मल बातचीत" इतनी गहरी हो गई कि बेटी सीन से गायब होती चली गई, और सासु मां मुख्य किरदार बन गईं।


पिता जी की नज़रें खुलीं, पर देर हो गई थी!

बेटी के पिता, जो बेंगलुरु में जॉब करते हैं, जब हाल ही में घर लौटे तो उन्होंने कुछ अजीब नोटिस किया — होने वाला दामाद दिन-रात सासु मां से बातें कर रहा था। फोन से चिपके रहते थे, जैसे दुनिया में और कुछ बचा ही नहीं हो।

बेटी कहां है? दूल्हे के लिए कोई उत्साह क्यों नहीं? ये सब सवाल उठने लगे, लेकिन जब तक बात समझ आती, तब तक सासु मां और दामाद जी मिलकर खेल कर चुके थे।


9 दिन पहले सासु मां और दूल्हा हो गए फरार

शादी से ठीक 9 दिन पहले, सासु मां दूल्हे राजा के साथ घर से निकल गईं — लेकिन खाली हाथ नहीं। घर में जो भी गहने, पैसे, और सामान बेटी की शादी के लिए इकट्ठा किया गया था, वो सब भी अपने साथ ले गईं।

घर में अब न तो दूल्हा है, न दुल्हन बनने वाली, और न ही शादी का सामान। सिर्फ हैरान-परेशान परिवार।


आखिरी झटका– दामाद का फोन कॉल

घटना के कुछ ही दिन बाद होने वाले दामाद ने ससुर जी को फोन कर एक और बम फोड़ा। उसने कहा—

"आप लोगों ने सासु मां को 20 सालों तक बहुत सताया है, उन्हें कभी प्यार और इज्जत नहीं दी। अब वो मेरे साथ खुश हैं। उन्हें ढूंढने की कोशिश मत करना, भूल जाओ हमेशा के लिए!"

अब बताइए, कौन सोच सकता है कि सास-दमाद का रिश्ता इस मोड़ तक पहुंच जाएगा?


सोचने वाली बात ये है...

  • क्या बेटी को इस रिश्ते की भनक नहीं लगी थी?

  • क्या सासु मां वाकई परेशान थीं, या ये सब सुनियोजित प्लान था?

  • और क्या दूल्हे राजा को बेटी से ज्यादा सासु मां में सच्चा प्यार नजर आया?

ये सवाल तो रह ही जाएंगे, लेकिन एक बात तो पक्की है — इस घटना ने रिश्तों की परिभाषा को ही हिला कर रख दिया है।


निष्कर्ष:

इस तरह की घटनाएं समाज को चौंका देती हैं। जहां रिश्तों की मर्यादा और विश्वास टूटते हैं, वहीं परिवारों का मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक नुकसान भी होता है।

ये घटना न सिर्फ एक मजेदार किस्सा बन गई है, बल्कि एक बड़ी सीख भी है— भरोसा सोच-समझकर करना चाहिए, चाहे रिश्ता कितना भी करीबी क्यों न हो।


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