भगवान महादेव के बारे में आपको ये जरूर जानना चाहिए.

महादेव, जिन्हें भगवान शिव के नाम से भी जाना जाता है, के बारे में कई ऐसे रोचक तथ्य हैं जो आमतौर पर कम लोग जानते हैं। यहां कुछ अनसुने पहलू प्रस्तुत हैं:



1. आदीयोगी का स्वरूप

भगवान शिव को 'आदीयोगी' कहा जाता है, जिसका अर्थ है योग के प्रथम गुरु। शिव ने ही सबसे पहले सप्तऋषियों को योग का ज्ञान प्रदान किया था, जिससे यह विद्या पूरी दुनिया में फैली।

2. जटाओं में बसा ब्रह्मांड

शिव की जटाएं केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं। मान्यता है कि उनकी जटाओं में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है, और इसी से गंगा का अवतरण हुआ था।

3. नीलकंठ का रहस्य

समुद्र मंथन के दौरान विषपान के बाद शिव का गला नीला पड़ गया था, लेकिन कम लोग जानते हैं कि विष को रोकने के लिए शिव ने इसे अपने कंठ में ही बांध लिया था ताकि वह उनके शरीर में न फैल सके।

4. शिव का तीसरा नेत्र

भगवान शिव का तीसरा नेत्र केवल क्रोध का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह 'ज्ञान चक्षु' भी है, जो सृष्टि के वास्तविक सत्य को देखने का प्रतीक है।

5. भस्म रमाने का महत्व

शिव अपने शरीर पर चिता की भस्म लगाते हैं, जो जीवन की नश्वरता और मृत्यु के सत्य को दर्शाता है। यह हमें अहंकार त्यागने का संदेश देता है।

6. अर्धनारीश्वर रूप

शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप यह दर्शाता है कि वे पुरुष और प्रकृति (स्त्री) के संतुलन का प्रतीक हैं, जो सृष्टि के संचालन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

7. नटराज का रूप

शिव का नटराज रूप ब्रह्मांडीय नृत्य का प्रतीक है, जिसमें सृष्टि की रचना, पालन और संहार का रहस्य छुपा हुआ है।

8. शिव का पशुपतिनाथ स्वरूप

भगवान शिव को पशुपतिनाथ कहा जाता है, जो सभी जीव-जंतुओं और प्राणियों के रक्षक माने जाते हैं।

9. काल का स्वामी

शिव को 'महाकाल' कहा जाता है, जिसका अर्थ है समय के भी स्वामी। उन्हें काल के प्रवाह से परे माना जाता है।

10. शिव का प्रिय वृक्ष – बेलपत्र

कम लोग जानते हैं कि बेलपत्र का सेवन करने वाले व्यक्ति के अंदर वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। इसी कारण शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है।

भगवान शिव के ये रहस्य हमें जीवन, मृत्यु, योग और अध्यात्म का गहरा संदेश देते हैं। उनका जीवन दर्शन सरलता, संयम और सत्य के मार्ग को अपनाने की प्रेरणा देता है।

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